यादें
Posted: 19-08-2023
| Writer - Ranjan Kumar Pandit
बादल बरसे या न बरसे, नैना बरस ही जाता है,
पता नहीं ये सावन क्यों, पतझड़ की याद दिलाता है ...
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Posted: 02-06-2018
| Writer - Mehak
"Besak Suna hai Maine"
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Posted: 01-05-2018
| Writer - Mehak
Aaina hoon main mere saamne Aakar to dekho.
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चिठ्ठियाँ
Posted: 30-04-2018
| Writer - Saumya Pandey
अब कहाँ खो गयी वो सभी चिठ्ठियाँ ,
खुशबुओं में नहायी सजी चिठ्ठियाँ ,
अब चलन में नहीं प्यार की चिठ्ठियां,
लोग लिखते हैं बस काम की चिठ्ठियाँ !!
वो कहाँ तक छुपाता बहा दी सभी ,
जान से भी प्यारी तेरी चिठ्ठियां
उसके छूने से जो हो गयी मखमली ,
भेज दे काश फिर वही चिठ्ठियाँ !!
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कान का दरवाजा
Posted: 14-04-2018
| Writer - Swati
जब हम चाहते आँखे खोलते,
जब चाहते तब बंद कर लेते,
ये सब संभव है केवल,
आँखों की पलकों के चलते !
आँखों की पलकों के जैसा,
काश कान के दरवाजे भी होते !
जब चाहे तब खोल लेते ,
जब चाहे तब बंद कर लेते !!
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प्रिय
Posted: 09-04-2018
| Writer - Mukesh Kumar Chaudhary
तुम जानती हो प्रिय ,
मेरे लिए तुम कितनी खास हो।
तेरे बिना मेरा जीवन ,
बिलकुल अधूरा सा है।
अगर मै सरिता हूँ,
तो तुम उसकी निर्मल जल हो।
मिलकर हम दोनों सदैव,
जीवन की प्यास बुझाएंगे ।
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ये औरतें भी न!
Posted: 08-04-2018
| Writer - Saumya Pandey
अरे यार! ये औरतें भी न,
बड़ी बेवकूफ होती हैं।
दो मिनट की आरामदायक और
बच्चों के पसंद की ज़ायकेदार मैगी को छोड़,
किचन में गर्मी में तप कर
हरी सब्ज़ियाँ बनाती फिरती हैं।
बच्चे मुँह बिचकाकर
नाराज़गी दिखलाते हैं सो अलग,
फिर भी बाज नहीं आती।
अरे यार! ये औरतें भी न,
बड़ी बेवकूफ होती हैं।
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मोर गउवां हेरात बा
Posted: 03-04-2018
| Writer - Uma Shankar Singh
न पोखरी न घोघा न सुतुही देखात बा,
तनी तनी रोज मोर गउवां हेरात बा,
का भइल बोदर कहां गइल बउलिया,
बोले न चोंय चांय का भइल ढेंकुलिया,
उड़ति बा धूरि अउर खेती सुखात बा,
तनी तनी रोज मोर गउवां हेरात बा,
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कड़वी सच्चाई
Posted: 31-03-2018
| Writer - Saumya Pandey
सच्चा छिपा झूठ के पीछे ,
चमक रहा है रंग काला !
सच गलत है ,झूठ सत्य है
शासन है जपता माला !!
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प्यार का रोग
Posted: 31-03-2018
| Writer - Mukesh Kumar Chaudhary
एक जुर्म किया है मैंने,
एक दोस्त बना बैठे हम।
कहते है ! प्यार सभी जिसको,
वो रोग लगा बैठे हम।
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मैं एक औरत हूँ
Posted: 31-03-2018
| Writer - Saumya Pandey
मैं एक औरत हूँ,
मैं ढकूँ तो ढकूँ कहाँ तक ,
अपने को ,कभी नजरो में हूँ ..
तो कभी किताबों में हूँ ,लोगो की बातों में हूँ ,
तो कभी परदे में हूँ ,शायर की शायरी में हूँ ,
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मै गुलाब हूँ
Posted: 26-03-2018
| Writer - Mukesh Kumar Chaudhary
मै गुलाब हूँ,
नाजुक बहुत हूँ।
पर खुद बिछुड़ कर,
दो बिछुड़े दिलो को,
जोड़ना जानती हूँ।
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नव वर्ष की शुभकामना
Posted: 26-03-2018
| Writer - Mukesh Kumar Chaudhary
खेतो की मेड पर उषा की पहली किरण का,
स्वागत करते किसान को।
लहलहाती हुयी फसले और खेत खलिहान को।
चारागाह से लौटते हुए पाशुओ के झुण्ड को।
नव वर्ष की शुभकामना।
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माँ तो बस माँ होती है
Posted: 26-03-2018
| Writer - Mukesh Kumar Chaudhary
माँ तो बस माँ होती है
माँ तेरी हो या मेरी ,
माँ तो बस माँ होती है।
जो पास में न होकर भी,
सदा साथ हमारे होती है।
माँ तो बस माँ होती है।
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निर्भया
Posted: 25-03-2018
| Writer - Mukesh Kumar Chaudhary
सिहरी जाइत अछि देह।
भुटकी जाइत अछि रो।
मौन पैरते ओ निर्भया के संग
होइ वाला कुकृत ।
मानवता के तार-तार करैत ओ दृश्य।
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