मै गुलाब हूँ
मै गुलाब हूँ,
नाजुक बहुत हूँ।
पर खुद बिछुड़ कर,
दो बिछुड़े दिलो को,
जोड़ना जानती हूँ।
बिछुड़े हुए अश्को को,
पिरोना जानती हूँ।
किसी के अरमानो को पूरा कर
उसकी खुशियो पे मचलना जानती हूँ।
मै गुलाब हूँ,
मै खुद बिछुड़ कर,
दो दिलो को
जोड़ना जानती हूँ।
किसी की आँखों में आँशु,
मुझे गवारा नही।
देकर खुद की कुर्बानी ,
उसे मनाना जानती हूँ।
मै गुलाब हूँ,
बड़ी नाजुक सी।
मै रिश्तों को दिल से
निभाना जानती हूँ