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माँ का दिल

शायद भूल गए हो ,मुझको है ये याद दिलाना 
हैं किये उपकार अगणित माँ का दिल कभी नहीं दुखाना 

खून से सिचा है अपने 9 माह उदर में ढोया 
माँ की आँचल के तले ,सुख चैन की तू नींद सोया 

याद कर ओ बालपन ,थी चोट तुम्हे लग जाती 
तू रोये या न रोये माँ की थी आँखे भर आती 

भूल जाती हर दर्द को ,जब चेहरे पे तेरे मुस्कान होती है 
तेरे हर ख़ुशी में शामिल ,हर गम में ओ परेशान होती है 

होती माँ साक्षात लक्ष्मी ,इस बात को न भुलाना 
है किये उपकार अगणित ,माँ का दिल तुम नहीं दुखाना 

कुंदन कुमार पंडित 

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