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जिंदगी........एक अधूरा सफ़र

अध्याय-1

बरसात का मौसम था, और फिर अभी - अभी अजय से बात की है, तो उसने भी बताया है, कि “कविता हरिद्वार में पिछले दो-तीन दिन से भारी बारिस हो रही है”, समाचार चैनल लगातार चेतावनी दे रहे हैं, कि अभी 1-2 दिन और बारिस हो सकती है। हरिद्वार भी जाना जरूरी था, क्योंकि कविता को अपने मम्मी और पापा दोनों की अस्थि विसर्जन करना था l

आँखों में आंसू थे, लेकिन कविता किसे कहे, एक अजय के सिवाय, है ही कौन कविता का। और अजय उसे भी मम्मी से अभी मिलवाया था, केवल 10 दिन पहले मिलवाया था l मम्मी ने पूछा था, नहीं तो मेरे अन्दर कहां इतनी हिम्मत थी, कि मैं अपने दोस्त अजय को मम्मी से मिलवा दूँ l लेकिन मम्मी बिस्तर पर अपनी अन्तिम साँसें गिन रही थी l मैं करती भी क्या, मम्मी ने अजय से क्या बात की ये मुझे अभी तक नहीं पता, लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा के लिए अजय की बना दिया था, हालांकि मेरी अजय से दोस्ती को दो महीने हो गये थे l लेकिन जो मम्मी ने किया उसे मैं मना नहीं कर पायी, करती भी कैसे, इस दुनिया में अजय के आने से पहले, मेरा मेरी मम्मी के अलावा था ही कौन, और फिर मम्मी ने मुझे, मम्मी और पापा दोनों का प्यार दिया ।

कविता अचानक ही यादों के सागर में डूब सी गयी, ये सफर ऐसा था कि कविता अपने आपको चाहकर भी नहीं रोक पा रही थी । “पापा”, हाँ वो पापा ही थे, जब उन्होंने मेरी मम्मी के लिए आखिरी खत छोड़ा था, जिसमे मेरे लिए लिखा था, पिया, मेरी और अपनी बेटी कविता को संभालो........., ये सब मम्मी ने अब क्यूं बताया, मुझे नहीं पता,और फिर मैंने ही क्यूं आज तक नही सोचा कि मम्मी को कभी पापा की कमी महसूस नहीं हुर्इ, या मम्मी की परवरिस ने मुझे सोचने ही नहीं दिया।

कविता यादों के सफर के सागर मे डूबती जा रही थी, ऐसे आगोस में समाती जा रही थी जिसका कोई अंत ही नहीं था, या शायद कविता अपनी मम्मी की बातें सुनने के बाद अपने आपको स्थिर नहीं कर पा रही थी । जो बातें मम्मी ने बतार्इ थी, अपने अन्तिम 10 दिनों में । और शायद इसीलिए मम्मी ने मुझे हमेशा के लिए अजय की बना दिया है । क्योंकि जो मेरी मम्मी ने झेला, वो कभी नहीं चाहेंगी कि उनकी बेटी के साथ भी ऐसा हो, और शायद इसलिए भी, क्योंकि पापा ने भी तो अपने अन्तिम खत में मम्मी को यही लिखा था, पिया, मैं आज भी तुम पर अपने आप से ज्यादा विश्वास करता हूं, इसलिए मेरी बेटी, जिसे मैं तुमसे भी ज्यादा प्यार करता हूँ, तुम्हें सौंपकर जा रहा हूँ…………….. , हमेशा के लिए।”

इसी बीच अजय का फोन आ रहा था, लेकिन कविता का मोबाइल पर ध्यान ही नहीं गया, और अजय से संपर्क नहीं कर पायी, काफी देर बाद जब मोबाइल देखा तो दस बार कोशिश की थी अजय ने, लेकिन कविता का ध्यान तो कहीं और था, वो तो अपने मम्मी-पापा के साथ थी । थोड़ी देर बाद फिर से मोबाइल की घंटी बजी । “हैलो”, दूसरी तरफ से अजय बोला “क्या हुआ, कविता, कब से कोशिश कर रहा हूँ, फोन क्यूं नहीं उठा रही हो, सब ठीक तो है ना”, हाँ अजय सब ठीक है, बस तुम आ जाओ मन नहीं लग रहा है यहाँ, इतना बड़ा घर खाने को दौड़ रहा है, मेरे इतना कहने पर अजय ने कहा “आ तो जाऊँ लेकिन ये बताओ दिल्ली से सीधे हरिद्वार चलोगी या पहले मेरे मम्मी-पापा से मिलना चाहोगी” । “नहीं अजय अभी नहीं, पहले हरिद्वार, और फिर बारह दिनों के बाद पापा के पैतृक गाँव, और पापा का पैतृक गाँव भी तो तुम्हारे राजस्थान में ही है अजय ।“ अजय ने हाँ बोलकर फोन काट दिया था ।

कितना अच्छा है अजय, जब से मम्मी ने मुझे सौंपा है उन्हें, जैसे सारी जिम्मेदारी ले ली है एक साथ,और नहीं तो जब से उससे मिली हूँ, हमेशा मजाक करता रहता था, चिढ़ाता था मुझे, मेरा खाना खा जाता था बिना पूछे । और उसके बाद मेरा नाराज होना और अजय से बात नहीं करना, फिर अजय का मुझे मनाना, और यदि मैं मान गर्इ तो फिर से चिढ़ाना । लेकिन जब वो मम्मी से मिला और उसके बाद पिछले बारह दिनों में जो घटित हुआ, सच में अजय ना होता तो शायद दो दिन पहले मम्मी के साथ मैं भी......, अब तो उसके बिना में अपने जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती ।

बारह दिन पहले तारीख “08-02-2017” को मम्मी ने मुझे अपने पास बुलाकर प्यार से बैठाया और बताया, बेटा अब वक्त आ गया है कि तुम्हें सब कुछ बता दूँ l दरअसल बात ये है कि,मुझे...........,” “मुझे क्या मम्मी” कविता बोल रही थी और मम्मी के चेहरे को देख भी रही थी l कविता ने मम्मी को आज तक ऐसे नहीं देखा था , “मुझे...... मुझे रक्त में संक्रमण है, और मैं ज्यादा दिन तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊँगी, मम्मी का ये कहना था, और कविता के हाथ से मोबाइल गिर गया, अजय का कॉल आ रहा था उस समय, मोबाइल टूट गया, लेकिन कविता को ना तो मोबाइल की और ना ही अजय की परवाह थी तब।

मम्मी ने जब मुझे बताया उसका आज बारहवा दिन है, दो दिन पहले मम्मी मुझे छोड़कर चली गर्इं हमेशा के लिए । लेकिन जो मम्मी ने मुझे बताया 08 फरवरी को, अपने बारे में और पापा के बारे में, मैं तो सुन कर सुन्न सी हो गर्इ, और कुछ देर बाद होश मे आने पर समझ में आया कि क्या ऐसी होती है जिंदगी, यदि ये जिंदगी होती है, तो बहुत कठिन है समय बिताना और किसी की यादों को सजोंकर रखना, और उन्ही यादों के सहारे जीवन गुजारना ।

उस दिन मम्मी ने रात को लगभग दस बजे मुझे अपने बिस्तर पर दोबारा बुलाया और मेरे सिर पर प्यार से हाथ को घुमाते हुए बोली कि, कविता, तुझे कुछ बताना है, तुम्हारे पापा के बारे में, और बेटा अगर तुम्हें कहीं लगे कि मैं गलत थी, या समय पर फैसला नहीं ले पार्इ तो बेटा अपनी मम्मी को माफ कर देना ।“ इतना कहने के बाद मम्मी भावुक हों गई थीं । लेकिन मेरे लिए पापा के बारे मे जानना बहुत जरूरी था, इसलिए मैं बिना सवाल जबाव किए मम्मी को सुनना चाहती थी, और मम्मी भी मुझे बहुत प्यार करती थीं, इसलिए मैं कभी मम्मी से भी ज्यादा सवाल नहीं करती थी l

मम्मी ने पापा के बारे मे बताना शुरू किया जब वे दोनों पहली बार मिले थे, में मम्मी को ध्यान से सुन रही थी, और मम्मी को सुनते – सुनते, उनकी बातों के आगोस में समाती चली गर्इ।

कविता मेरा जन्म गाँव के परिवार में हुआ, लेकिन मेरा ज़्यादातर समय शहर के माहौल मे व्यतीत हुआ, और तुम्हारे पापा का ज़्यादातर वक्त गाँव के माहौल मे निकाला, और यही एक चीज हम दोनों मे समान नहीं थी । कविता ये भारत देश है, और इस देश में परम्परागत सोच को मिटाने में सालों-साल लग जाएँगे । वैसे ऐसा सिर्फ मैं सोचती थी, तेरे पापा सिर्फ कहते थे, लेकिन उनकी सोच कहीं अलग थी औरों से, यहां तक कि मेरे पापा यानि तुम्हारे नानाजी को भी कोर्इ परेशानी नहीं थी।

मैं सोच रही थी कि मम्मी मेरे लिए कौनसी बात बता रहीं हैं आज, और क्यूं बता रहीं हैं । और यदि बताना ही था तो पहले क्यूं नहीं, लेकिन अब मेरे पास इतना वक्त नहीं है, कि मैं मम्मी से कुछ सवाल जवाब करूं, बस मम्मी को सुने जा रही थी। फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मम्मी

की आँखों में आंसू थे, मैंने अपना रूमाल निकाला और मम्मी के आंसू पौंछने लगी, मम्मी क्या बात है, इतना निराश और उदास क्यूं हो आप ।“ मम्मी ने कहा, कविता जो कह रही हूँ, वो सुनो ।” उनकी आँखें पापा के दीवार पर लटके हुए माला वाले चित्र पर टिक गर्इं, तो मुझे लगने लगा शायद पापा की कमी महसूस हुर्इ मम्मी को लेकिन मेरी परिवरिश की वजह से मम्मी ने एकाकी जीवन जिया, अपनी सारी इच्छाएँ सिर्फ मेरे लिए खत्म कर दीं। “मम्मी क्या आपको पापा कभी पापा की कमी महसूस नहीं हुई ।“ मेरे इतना कहने पर मम्मी बोलीं “हाँ कविता, तुम्हें आज वो बताने जा रही हूँ, जिससे तुम बिल्कुल अनजान हो, क्योंकि यही तेरे पापा की इच्छा थी, इसलिए मैंने तुम्हें आज तक नहीं बताया, लेकिन ये बात और तेरे पापा की सच्चार्इ अपने साथ नहीं ले जा सकती, इसलिए तुम्हें बता रही हूँ।“

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