अनुपमा का प्रेम
Posted: 18-03-2018
| Writer - Sharatchandra
ग्यारह वर्ष की आयु से ही अनुपमा उपन्यास पढ़-पढ़कर मष्तिष्क को एकदम बिगाड़ बैठी थी। वह समझती थी, मनुष्य के हृदय में जितना प्रेम, जितनी माधुरी, जितनी शोभा, जितना सौंदर्य, जितनी तृष्णा है, सब छान-बीनकर, साफ कर उसने अपने मष्तिष्क के भीतर जमा कर रखी है..
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पोखरा
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
>वही हुआ। मैंने मेधा से कई बार कहा था, मौसम अच्छा है, कोई झंझट न करो, समय पर निकल चलेंगे तो शाम तक वीरगंज पहुँचकर रात भर विश्राम करेंगे और अगले दिन आराम से पोखरा के लिए रवाना हो जायेंगे...
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बहादुर
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
सहसा मैं काफी गंभीर था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। वह सामने खड़ा था और आँखों को बुरी तरह मटका रहा था। बारह-तेरह वर्ष की उम्र। ठिगना शरीर, गोरा रंग और चपटा मुँह। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की ही सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहने था..
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पलाश के फूल
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
नए मकान के सामने पक्की चहारदीवारी खड़ी करके जो अहाता बनाया गया है, उसमें दोनो ओर पलाश के पेड़ों पर लाल-लाल फूल छा गए थे।
राय साहब अहाते का फाटक खोलकर अंदर घुसे और बरामदे में पहुँच गए। धोती-कुर्ता, गाँधी टोपी, हाथ में छड़ी...
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डिप्टी कलक्टरी
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
शकलदीप बाबू कहीं एक घंटे बाद वापस लौटे। घर में प्रवेश करने के पूर्व उन्होंने ओसारे के कमरे में झाँका, कोई भी मुवक्किल नहीं था और मुहर्रिर साहब भी गायब थे। वह भीतर चले गए और अपने कमरे के सामने ओसारे में खड़े होकर बंदर की भाँति आँखे मलका-मलकाकर उन्होंने रसोईघर की ओर देखा...
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एक थी गौरा
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
लंबे कद और डबलंग चेहरे वाले चाचा रामशरण के लाख विरोध के बावजूद आशू का विवाह वहीं हुआ। उन्होंने तो बहुत पहले ही ऐलान कर दिया था कि 'लड़की बड़ी बेहया है।'
आशू एक व्यवहार-कुशल आदर्शवादी नौजवान है...
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लड़का-लड़की
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
सितंबर बीतते-बीतते बरसात समाप्त हो चुकी थी और आकाश निर्मल एवं नीला दिखाई देने लगा था। चंदर ने उन्हीं दिनों एक फिल्म देखी। वह एक गोरा, खूबसूरत और पतला-छरहरा नौजवान था, जिसको चलते हुए देखकर किसी वायु-प्रकंपित ताजे बेंत कि याद आ जाती...
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दोपहर का भोजन
Posted: 18-03-2018
| Writer - Amarkant
सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रख कर शायद पैर की उँगलियाँ या जमीन पर चलते चीटें-चीटियों को देखने लगी।
अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास नहीं लगी हैं...
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पछतावा
Posted: 17-03-2018
| Writer - Unknown
एक बहुत ही मेहनती और ईमानदार लड़का था , जो की बहुत ही ज्यादा गरीब था | वह दिन रात यही सोचता था की वह खूब मेहनत से पढ़ाई करेगा और एक अच्छी सी नौकरी लेकर अपनी एक कार खरीदेगा | वह जब भी रास्ते में कोई कार देकता तो वह सपनो में खो जाता और सोचने लगता की मुझको को अपनी कार नसीब होगी...
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सिमटते रिश्ते
Posted: 17-03-2018
| Writer - Unknown
ननद ने अपनी भाभी को फोन किया और पूंछा : भाभी मैंने राखी भेजी थी मिल गयी आप लोगों को ???
. भाभी : नहीं दीदी अभी नहीं मिली
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सच्चा दोस्त
Posted: 17-03-2018
| Writer - Unknown
दो दोस्त, दोनों ही बुरी तरह से बीमार, एक ही अस्पताल के एक ही कमरे में थे। उनमे से एक दोस्त को पलंग पर बैठने की इज़ाज़त थी। इसीलिए वह पलंग पर बैठा था। पलंग कमरे में खिड़की के ही पास था...
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विलासी
Posted: 26-02-2018
| Writer - Sharatchandra
पक्का दो कोस रास्ता पैदल चलकर स्कूल में पढ़ने जाया करता हूँ। मैं अकेला नहीं हूँ, दस-बारह जने हैं। जिनके घर देहात में हैं, उनके लड़कों को अस्सी प्रतिशत इसी प्रकार विद्या-लाभ करना पड़ता है
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लाल पान की बेगम
Posted: 26-02-2018
| Writer - Phanishwar Nath Renu
'क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?'
बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा रही है...
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होली का उपहार
Posted: 23-02-2018
| Writer - Munshi Premchand
मैकूलाल अमरकान्त के घर शतरंज खेलने आये, तो देखा, वह कहीं बाहर जाने की तैयारी कर रहे हैं। पूछा-कहीं बाहर की तैयारी कर रहे हो क्या भाई? फुरसत हो, तो आओ, आज दो-चार बाजियाँ हो जाएँ।
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नादान दोस्त
Posted: 23-02-2018
| Writer - Munshi Premchand
केशव के घर में कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अण्डे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़ियों को वहां आते-जाते देखा करते । सवेरे दोनों आंखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा या चिड़िया दोनों को वहां बैठा पाते।
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आहुति
Posted: 23-02-2018
| Writer - Munshi Premchand
आनन्द ने गद्देदार कुर्सी पर बैठकर सिगार जलाते हुए कहा-आज विशम्भर ने कैसी हिमाकत की! इम्तहान करीब है और आप आज वालण्टियर बन बैठे। कहीं पकड़ गये, तो इम्तहान से हाथ धोएँगे। मेरा तो खयाल है कि वजीफ़ा भी बन्द हो जाएगा..
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कफ़न
Posted: 23-02-2018
| Writer - Munshi Premchand
झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गाँव अन्धकार में लय हो गया था..
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