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आहुति

Posted: 23-02-2018 | Writer - Munshi Premchand

आनन्द ने गद्देदार कुर्सी पर बैठकर सिगार जलाते हुए कहा-आज विशम्भर ने कैसी हिमाकत की! इम्तहान करीब है और आप आज वालण्टियर बन बैठे। कहीं पकड़ गये, तो इम्तहान से हाथ धोएँगे। मेरा तो खयाल है कि वजीफ़ा भी बन्द हो जाएगा..

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कफ़न

Posted: 23-02-2018 | Writer - Munshi Premchand

झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गाँव अन्धकार में लय हो गया था..

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लेखक

रंजन कुमार पंडित 3

रूपेंद्र शर्मा 1

सूर्य कुमार शुक्ला 2

अमरकांत 7

हरिशंकर परसाई 3

प्रेमचंद 4

फणीश्वर नाथ रेणु 6

शरतचन्द्र चट्टोपाध्य 3

Unknown 3

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