Name - | Saumya Pandey |
Email - | saumyacumnehapandey@gmail.com |
Address - | Ballia,Uttar Pradesh |
कवितायें 4
अब कहाँ खो गयी वो सभी चिठ्ठियाँ , खुशबुओं में नहायी सजी चिठ्ठियाँ , अब चलन में नहीं प्यार की चिठ्ठियां, लोग लिखते हैं बस काम की चिठ्ठियाँ !! वो कहाँ तक छुपाता बहा दी सभी , जान से भी प्यारी तेरी चिठ्ठियां उसके छूने से जो हो गयी मखमली , भेज दे काश फिर वही चिठ्ठियाँ !!
सच्चा छिपा झूठ के पीछे , चमक रहा है रंग काला ! सच गलत है ,झूठ सत्य है शासन है जपता माला !!
अरे यार! ये औरतें भी न, बड़ी बेवकूफ होती हैं। दो मिनट की आरामदायक और बच्चों के पसंद की ज़ायकेदार मैगी को छोड़, किचन में गर्मी में तप कर हरी सब्ज़ियाँ बनाती फिरती हैं। बच्चे मुँह बिचकाकर नाराज़गी दिखलाते हैं सो अलग, फिर भी बाज नहीं आती। अरे यार! ये औरतें भी न, बड़ी बेवकूफ होती हैं।
मैं एक औरत हूँ, मैं ढकूँ तो ढकूँ कहाँ तक , अपने को ,कभी नजरो में हूँ .. तो कभी किताबों में हूँ ,लोगो की बातों में हूँ , तो कभी परदे में हूँ ,शायर की शायरी में हूँ ,