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रचनायें

कहानियाँ 7

चर्चित रचनायें

कहानियाँ

1 पोखरा

Posted: 18-03-2018

>वही हुआ। मैंने मेधा से कई बार कहा था, मौसम अच्छा है, कोई झंझट न करो, समय पर निकल चलेंगे तो शाम तक वीरगंज पहुँचकर रात भर विश्राम करेंगे और अगले दिन आराम से पोखरा के लिए रवाना हो जायेंगे...

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2 बहादुर

Posted: 18-03-2018

सहसा मैं काफी गंभीर था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। वह सामने खड़ा था और आँखों को बुरी तरह मटका रहा था। बारह-तेरह वर्ष की उम्र। ठिगना शरीर, गोरा रंग और चपटा मुँह। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की ही सफेद कमीज और भूरे रंग का पुराना जूता पहने था..

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3 पलाश के फूल

Posted: 18-03-2018

नए मकान के सामने पक्की चहारदीवारी खड़ी करके जो अहाता बनाया गया है, उसमें दोनो ओर पलाश के पेड़ों पर लाल-लाल फूल छा गए थे। राय साहब अहाते का फाटक खोलकर अंदर घुसे और बरामदे में पहुँच गए। धोती-कुर्ता, गाँधी टोपी, हाथ में छड़ी...

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4 डिप्टी कलक्टरी

Posted: 18-03-2018

शकलदीप बाबू कहीं एक घंटे बाद वापस लौटे। घर में प्रवेश करने के पूर्व उन्होंने ओसारे के कमरे में झाँका, कोई भी मुवक्किल नहीं था और मुहर्रिर साहब भी गायब थे। वह भीतर चले गए और अपने कमरे के सामने ओसारे में खड़े होकर बंदर की भाँति आँखे मलका-मलकाकर उन्होंने रसोईघर की ओर देखा...

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5 एक थी गौरा

Posted: 18-03-2018

लंबे कद और डबलंग चेहरे वाले चाचा रामशरण के लाख विरोध के बावजूद आशू का विवाह वहीं हुआ। उन्होंने तो बहुत पहले ही ऐलान कर दिया था कि 'लड़की बड़ी बेहया है।' आशू एक व्यवहार-कुशल आदर्शवादी नौजवान है...

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6 लड़का-लड़की

Posted: 18-03-2018

सितंबर बीतते-बीतते बरसात समाप्त हो चुकी थी और आकाश निर्मल एवं नीला दिखाई देने लगा था। चंदर ने उन्हीं दिनों एक फिल्म देखी। वह एक गोरा, खूबसूरत और पतला-छरहरा नौजवान था, जिसको चलते हुए देखकर किसी वायु-प्रकंपित ताजे बेंत कि याद आ जाती...

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7 दोपहर का भोजन

Posted: 18-03-2018

सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रख कर शायद पैर की उँगलियाँ या जमीन पर चलते चीटें-चीटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास नहीं लगी हैं...

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