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Ramdhari Singh Dinkar

रचनायें

कवितायें 15

चर्चित रचनायें

कवितायें

1 रश्मिरथी -सप्तम सर्ग

Posted: 22-03-2018

निशा बीती, गगन का रूप दमका, किनारे पर किसी का चीर चमका। क्षितिज के पास लाली छा रही है, अतल से कौन ऊपर आ रही है ?

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2 रश्मिरथी -षष्ठ सर्ग

Posted: 22-03-2018

नरता कहते हैं जिसे, सत्तव क्या वह केवल लड़ने में है ? पौरूष क्या केवल उठा खड्ग मारने और मरने में है ? तब उस गुण को क्या कहें मनुज जिससे न मृत्यु से डरता है ?

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3 रश्मिरथी -पंचम सर्ग

Posted: 22-03-2018

आ गया काल विकराल शान्ति के क्षय का, निर्दिष्ट लग्न धरती पर खंड-प्रलय का । हो चुकी पूर्ण योजना नियती की सारी, कल ही होगा आरम्भ समर अति भारी ।

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4 रश्मिरथी -चतुर्थ सर्ग

Posted: 22-03-2018

प्रेमयज्ञ अति कठिन कुण्ड में कौन वीर बलि देगा ? तन, मन, धन, सर्वस्व होम कर अतुलनीय यश लेगा ? हरि के सन्मुख भी न हार जिसकी निष्ठा ने मानी, धन्य-धन्य राधेय ! बन्धुता के अद्भुत अभिमानी ।

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5 रश्मिरथी-तृतीय सर्ग

Posted: 22-03-2018

हो गया पूर्ण अज्ञात वास,  पाडंव लौटे वन से सहास,  पावक में कनक-सदृश तप कर,  वीरत्व लिए कुछ और प्रखर,

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6 रश्मिरथी-द्वितीय सर्ग

Posted: 22-03-2018

शीतल, विरल एक कानन शोभित अधित्यका के ऊपर, कहीं उत्स-प्रस्त्रवण चमकते, झरते कहीं शुभ निर्झर। जहाँ भूमि समतल, सुन्दर है, नहीं दीखते है पाहन, हरियाली के बीच खड़ा है, विस्तृत एक उटज पावन।

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7 रश्मिरथी-प्रथम सर्ग

Posted: 22-03-2018

'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को, जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को। किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल, सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल

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8 शहीद-स्तवन (कलम, आज उनकी जय बोल)

Posted: 22-03-2018

कलम, आज उनकी जय बोल जला अस्थियाँ बारी-बारी छिटकाई जिनने चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल । कलम, आज उनकी जय बोल ।

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9 किसको नमन करूँ मैं भारत?

Posted: 22-03-2018

तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ? मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ? किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ?

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10 बर्र और बालक

Posted: 22-03-2018

सो रहा था बर्र एक कहीं एक फूल पर, चुपचाप आके एक बालक ने छू दिया बर्र का स्वभाव,हाथ लगते है उसने तो, ऊँगली में डंक मार कर बहा लहू दिया

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11 पढ़क्‍कू की सूझ

Posted: 22-03-2018

एक पढ़क्‍कू बड़े तेज थे, तर्कशास्‍त्र पढ़ते थे, जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नए बात गढ़ते थे। एक रोज़ वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ न पाए, "बैल घुमता है कोल्‍हू में कैसे बिना चलाए?"

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12 चूहे की दिल्ली-यात्रा

Posted: 22-03-2018

चूहे ने यह कहा कि चूहिया! छाता और घड़ी दो, लाया था जो बड़े सेठ के घर से, वह पगड़ी दो। मटर-मूँग जो कुछ घर में है, वही सभी मिल खाना, खबरदार, तुम लोग कभी बिल से बाहर मत आना!

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13 चांद का कुर्ता

Posted: 22-03-2018

हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला, ‘‘सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला...

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14 मिर्च का मज़ा

Posted: 22-03-2018

एक काबुली वाले की कहते हैं लोग कहानी, लाल मिर्च को देख गया भर उसके मुँह में पानी। सोचा, क्या अच्छे दाने हैं, खाने से बल होगा, यह जरूर इस मौसम का कोई मीठा फल होगा।

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15 सूरज का ब्याह

Posted: 22-03-2018

उड़ी एक अफवाह, सूर्य की शादी होने वाली है, वर के विमल मौर में मोती उषा पिराने वाली है। मोर करेंगे नाच, गीत कोयल सुहाग के गाएगी, लता विटप मंडप-वितान से वंदन वार सजाएगी!

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