Name - | Mukesh Kumar Chaudhary |
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Address - | Samastipur |
कवितायें 7
तुम जानती हो प्रिय , मेरे लिए तुम कितनी खास हो। तेरे बिना मेरा जीवन , बिलकुल अधूरा सा है। अगर मै सरिता हूँ, तो तुम उसकी निर्मल जल हो। मिलकर हम दोनों सदैव, जीवन की प्यास बुझाएंगे ।
माँ तो बस माँ होती है माँ तेरी हो या मेरी , माँ तो बस माँ होती है। जो पास में न होकर भी, सदा साथ हमारे होती है। माँ तो बस माँ होती है।
मै गुलाब हूँ, नाजुक बहुत हूँ। पर खुद बिछुड़ कर, दो बिछुड़े दिलो को, जोड़ना जानती हूँ।
सिहरी जाइत अछि देह। भुटकी जाइत अछि रो। मौन पैरते ओ निर्भया के संग होइ वाला कुकृत । मानवता के तार-तार करैत ओ दृश्य।
जिनके चरणों में चारो धाम है, हे जननी ! तुझे शत् शत् प्रणाम है। माँ होती है धरती पे देवी स्वरुप इनकी आँचल की छाया में पलते सभी जिनकी ममता का ना कोई दाम है। हे जननी ! तुझे शत् शत् प्रणाम है।