1 मन का कोरा दर्पन
Posted: 04-06-2018
मन का कोरा दर्पन तेरे नाम करूँ।
भँवरों का मदमाता गुंजन,
तितली की बलखाती थिरकन,
भीनी-भीनी गंध पुष्प की,
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2 तृप्त मयूरी हो ना पाई
Posted: 04-06-2018
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3 रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा
Posted: 04-06-2018
रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं।
तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं।
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1.
Posted: 04-06-2018
बेसुरे साज़ पर भी गीत गाने लगते हैं,
ज़रा सी ठेस पर आंसू बहाने लगते हैं|
इतने नादान हैं ये लड़के इन्हे न तंज करो,
तेज बारिश में पतंगे उडाने लगते हैं||
ये तो पत्थर में भी मूरत उभार देते हैं,
भरते हैं रंग और फ़िर निखार देते हैं|
इतने भोले हैं ये लड़के ये जानते ही नही ,
एक मुस्कान पे जीवन गुजार देते हैं ||
ख्वाब आंखों में लिए प्यार के जब सोते हैं ,
टूटती नीद तो फ़िर जार जार रोते हैं |
प्यार का दर्द तो होता बहुत मीठा पर,
फ़िर भला आंसूं ये नमकीन से क्यों होते हैं||
फूल को तोड़ना था शाख को क्यों तोड़ दिया,
तय था इधर आना तो रुख क्यों उधर मोड़ लिया|
हमको अपना बना के छोड़ने का दावा किया,
आज अपना बनाया और यु ही छोड़ दिया ||
2.
Posted: 04-06-2018
तपती हुई ज़मीं है जलधार बाँटता हूँ
पतझर के रास्तों पर मैं बहार बाँटता हूँ
ये आग का दरिया है जीना भी बहुत मुश्क़िल
नफ़रत के दौर में भी मैं प्यार बाँटता हूँ
विष्णु सक्सेना
3.
Posted: 04-06-2018
अब भी हसीन सपने आँखों में पल रहे हैं
पलकें हैं बंद फिर भी आँसू निकल रहे हैं
नींदें कहाँ से आएँ बिस्तर पे करवटें ही
वहाँ तुम बदल रहे हो यहाँ हम बदल रहे हैं
विष्णु सक्सेना
4.
Posted: 04-06-2018
बरसात भी नहीं है बादल गरज रहे हैं
सुलझी हुई लटे हैं और हम उलझ रहे हैं
मदमस्त एक भँवरा क्या चाहता कली से
तुम भी समझ रहे हो हम भी समझ रहे हैं
विष्णु सक्सेना
5.
Posted: 04-06-2018
ओ जवान धड़कनों तुम, मेरा सलाम लेना
सीखा नहीं है मैंने, हाथों में जाम लेना
फ़िसलन बहुत है यारो, राहों में मुहब्बत की
कहीं मैं फिसल न जाऊँ, तुम हाथ थाम लेना
विष्णु सक्सेना