Name - | Rupendra Sharma |
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कहानियाँ 2
बरसात का मौसम था, और फिर अभी - अभी अजय से बात की है, तो उसने भी बताया है, कि “कविता हरिद्वार में पिछले दो-तीन दिन से भारी बारिस हो रही है”, समाचार चैनल लगातार चेतावनी दे रहे हैं, कि अभी 1-2 दिन और बारिस हो सकती है। हरिद्वार भी जाना जरूरी था, क्योंकि कविता को अपने मम्मी और पापा दोनों की अस्थि विसर्जन करना था l
हैलो..........हैलो........... , थोड़ी देर के सन्नाटे के बाद दबे से स्वर में आवाज आती है........., हैलो.................... मैं राज बोल रहा हूँ, क्या तुम मुझे सुन रही हो । हाँ सुन रही हूँ, पहचाना मुझे, पिया बोल रही हूँ। अपना परिचय देने की जरूरत नहीं है, मैंने पहचान लिया। राज को सुनने के बाद पिया बोली, कैसे पहचाना तुमने, मेरा नया नम्बर तो है ही नहीं तुम्हारे पास, और मैंने तुम्हारे पास पूरे दो साल बाद कॉल किया है। राज की फीकी सी हसी निकल पड़ती है। “हंस क्यूं रहे हो, मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे तुम्हें हंसी आये।” इस पर राज कहता है, नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, बस ऐसे ही, तुम ये बताओ पिया, तुमने मुझे क्यों याद किया। राज की फीकी सी हसी निकल पड़ती है। “हंस क्यूं रहे हो, मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे तुम्हें हंसी आये।” इस पर राज कहता है, नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, बस ऐसे ही, तुम ये बताओ पिया, तुमने मुझे क्यों याद किया।
“व्यक्ति की संवेदनायें प्रेम के द्वारा जगाई तो जा सकती हैं, लेकिन इन्ही संवेदनाओ को खत्म करने के लिए कोई प्राकृतिक क्रिया नहीं है, इसलिए किसी भी व्यक्ति की संवेदनाओ के साथ खिलवाड़ न करें l “
“प्रेम प्रकृति के द्वारा प्रदान किए ज्ञे नायाब तोहफों मे से एक है, और प्रेम किसी से जीतकर नहीं बल्कि खुद का समर्पण करके पाया जा सकता है l”
“खामोशी, या किसी से दूर जाकर किसी परेशानी या समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता, हाँ इससे किसी व्यक्ति की संवेदनाओ को दबाया जरूर जा सकता है l”
सब कुछ बदलने के बाद भी अगर कुछ नहीं बदला है, तो वो वजह हैं, तुम्हारे बेरुखी के वो एहसास, जो आज भी यादों के समन्दर में डुबोकर उन्ही रास्तों पर छोड़ जाते है, जहाँ से तुमने साथ चलने की कसमें औ वादे किये थे |
सब कुछ बदलने के बाद भी अगर कुछ नहीं बदला है, तो वो वजह है तुम्हारा बेरुखी का वो एहसास, जो आज भी यादों के समन्दर में डुबोकर उन्ही रास्तों पर छोड़ जाते है, जहाँ से तुमने साथ चलने की कसमें औ वादे किये थे |
“व्यक्ति की संवेदनायें प्रेम के द्वारा जगाई तो जा सकती हैं, लेकिन इन्ही संवेदनाओ को खत्म करने के लिए कोई प्राकृतिक क्रिया नहीं है, इसलिए किसी भी व्यक्ति की संवेदनाओ के साथ खिलवाड़ न करें l “
“प्रेम प्रकृति के द्वारा प्रदान किए ज्ञे नायाब तोहफों मे से एक है, और प्रेम किसी से जीतकर नहीं बल्कि खुद का समर्पण करके पाया जा सकता है l”
“खामोशी, या किसी से दूर जाकर किसी परेशानी या समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता, हाँ इससे किसी व्यक्ति की संवेदनाओ को दबाया जरूर जा सकता है l”