Name - | Kundan Kumar pandit |
Email - | kkp451@gmail.com |
Address - | Patna |
कवितायें 2
शायरी 3
शायद भूल गए हो ,मुझको है ये याद दिलाना , हैं किये उपकार अगणित माँ का दिल कभी नहीं दुखाना , खून से सिचा है अपने 9 माह उदर में ढोया , माँ की आँचल के तले ,सुख चैन की तू नींद सोया ...
लोकतंत्र के परब आईल कहला बिना रहाते नईखे मत केकरा के दान करी बुझाते नइखे । बड़का-बड़का पोस्टर पे बा बड़हन-बड़हन वादा, ..
उसकी आँखों में प्रेम का समंदर दीखता है,
सारे जहाँ का प्यार उसके अंदर दीखता है;
क्या कहे उसकी अंदाज -ए-मोहब्बत को,
इसे देखकर प्यार भी प्यार सीखता है।
सच्चा प्यार जो भी करते हैं; पूछो कितना कठिन भुलाना,
जुदाई शायद सह ना सकूँगा; ऐ रब पहले मुझे बुलाना.
सबसे अलग है मुस्कान उसकी,
जी चाहे बस देखता ही रहूं मै;
दर्द-ए-जमाने की परवां नही है,
उसके लिए सब हँस के सहूं मै।
सबसे अलग है मुस्कान उसकी,
जी चाहे बस देखता ही रहूं मै;
दर्द-ए-जमाने की परवां नही है,
उसके लिए सब हँस के सहूं मै।
उसकी आँखों में प्रेम का समंदर दीखता है,
सारे जहाँ का प्यार उसके अंदर दीखता है;
क्या कहे उसकी अंदाज -ए-मोहब्बत को,
इसे देखकर प्यार भी प्यार सीखता है।
सच्चा प्यार जो भी करते हैं; पूछो कितना कठिन भुलाना,
जुदाई शायद सह ना सकूँगा; ऐ रब पहले मुझे बुलाना.