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सच्चा दोस्त

दो दोस्त, दोनों ही बुरी तरह से बीमार, एक ही अस्पताल के एक ही कमरे में थे। उनमे से एक दोस्त को पलंग पर बैठने की इज़ाज़त थी। इसीलिए वह पलंग पर बैठा था। पलंग कमरे में खिड़की के ही पास था। दुसरे दोस्त को उसीके पीछे निचे जमीन पर सारा समय बिताना पड़ता था। वे दोस्त घंटो तक बाते किया करते थे। वे उनकी पत्नियों, परिवार, घर, जॉब, के बारे में बाते किया करते थे।

दोपहर में, जो दोस्त पलग पर बैठा होता था वह अपने साथी को इन सारी चीजो के बारे में धीरे-धीरे बताता था। जबकि दूसरी तरह जो दोस्त निचे होता था वह अपनी आँखे बंद कर के इन सभी चीजो की कल्पना करता था। अपनी अपने ही मन से दृश्य निर्माण करता था। दूसरें दोस्त को एक घंटे के लिए ऐसा लगता था जैसे वह अपनी जिंदगी जी रहा हो। वो उसी एक घंटे में बाहरी रंगीन दुनिया के नज़रो को देखता था।

खिड़की के बाहर ही एक पार्क था जहा एक सुन्दर सा तालाब (सरोवर) था। उस तालाब में बदक और हंस खेलते थे जबकि छोटे-छोटे बच्चे नाव बनाकर उस तालाब में छोड़ते थे। जबकि युवा लड़के-लडकिया कंधे से कंधा मिलकर प्यार भरी बाते किया करते और इंद्रधनुष के रंगों को निहारते थे। वही मैदान के पेड़ पूरी जमीन पर फैले हुए थे जो दिखने में बहोत ही सुंदर लगते थे।

एक दोपहर, खिडके के बाहर देख रहे दोस्त ने बताया की वहा से कोई परेड गुजर रही है। जबकि दुसरे दोस्त को भी बैंड की आवाज़ सुनाई दे रही थी। दूसरा दोस्त अपनी आखे बंद करते हुए ही उस परेड की कल्पना कर रहा था और दिमाग में ही एक दृश्य बना रहा था। इसी तरह कई दिन, और महीने बीतते गये।

एक सुबह, एक दिन नर्स उनके नहाने के लिए गर्म पानी लेके आयी और उसने पाया की उनमे से एक जो खिड़की के पास था वह नींद में ही सोते हुए मर चूका था। ये सब देखकर वह नर्स बहुत दुखी हुई और उसने अस्पताल के कर्मचारियों को लाश को ले जाने के लिए कहा। ऐसा लग रहा था जैसे दूसरा दोस्त खिडके के पास बैठना चाहता हो।

नर्स ये देखकर खुश हुई, नर्स ने आसानी से उस दुसरे आदमी को खिड़की के पास बिठाया, और उसे अकेला छोड़ दिया। धीरे से उसने अपने आप को खिडके के तरफ धकेलने की कोशिश की ताकि वह रंगीन दुनिया की एक झलक देख सके। वह अपने पलंग के पीछे की खिड़की को धुंडने लगा था। जिसके बाहर देखकर उसका सहकर्मी उसे रोज़ नयी नयी चीजो के बारे में बताया करता था।

जैसे ही वह पलंग के पीछे के तरफ मुड़ा उसे सिर्फ के खली दीवार ही दिखाई दी। उस दुसरे आदमी ने नर्स से खिड़की के बारे में पूछा जिस से रोज़ उसका सहकर्मी बाहर देखा करता था। उस नर्स ने जवाब दिया की वह तो कोई खडकी थी ही नहीं। “फिर भी वो तुम्हारी हिम्मत बढ़ाते रहा। ताकि तुम जिंदगी से हार न मानो”

याद रखिये, आज कभी वापिस नही आएगा। हमेशा एक दोस्त बनकर रहे। लोगो को उत्साहित करते रहे। अपनों की रक्षा करे। कोशिश करे की आपके शब्दों से कोई मायूस ना हो।

Friendship is the best gift of God !!

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