Sahitya DarshannStory,Poems.shayari,quotes,Gazals,कवितायें शायरी कहानियाँ

 

कड़वी सच्चाई

Posted: 19-08-2023 | Writer - Ranjan Kumar Pandit

आज सुबह से भंडारा चल रहा है, रसगुल्ला, जलेबी क्या नहीं बनवा रखा है आकाश ने, कितना अच्छा प्रबंध  कर रखा है---

[Read More]

लालच

Posted: 11-04-2018 | Writer - SURYA NARAYAN SHUKLA

उठ जा राजू बेटा आज क्या घास काटने नहीं जाना है?.......माँ की आवाज जब राजू के कानों में पड़ी तो वो तुरंत बिस्तर से उठ गया.....और अपने औजारों को लेकर जंगल की तरफ घास काटने चल दिया...!! बहुत समय पहले की बात है....पहाड़ों की तलछटी में बसे एक गाँव में राजू अपने माँ के साथ रहता था....उसके पिता की मौत हो चुकी थी...तो घर चलाने की जिम्मेदारी उसी के कन्धों पर आ गयी थी....

[Read More]

रेपिस्ट कौन

Posted: 11-04-2018 | Writer - SURYA NARAYAN SHUKLA

बेटा उठ जाओ,सुबह के 9 बज रहे हैं,कब तक सोओगी-----मास्टर केशव प्रसाद ने पल्लवी को आवाज लगाते हुए कहा, (माँ के बचपन में ही गुजर जाने के बाद मास्टर साहब ही पल्लवी के माँ-बाप थे वो उसे अपनी बेटी नहीं बेटा मानते थे ,यदा-कदा वो कहा करते थे की मेरे मरने के बाद मुझे मुखाग्नि मेरी पल्लवी ही देगी, पल्लवी को पालने के लिए उन्होंने स्कूल से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी )

[Read More]

पगला

Posted: 25-03-2018 | Writer - Ranjan Kumar Pandit

रात के करीब यही 10 बज रहे होंगे ,बड़ी बेसब्री से रोहन 12 बजने का इंतजार कर रहा था, कल था ही ऐसा कुछ खास !! 22 जून !! उसके best friend अनन्या का birthday

[Read More]

जिंदगी........एक अधूरा सफ़र

Posted: 22-02-2018 | Writer - Rupendra Sharma

बरसात का मौसम था, और फिर अभी - अभी अजय से बात की है, तो उसने भी बताया है, कि “कविता हरिद्वार में पिछले दो-तीन दिन से भारी बारिस हो रही है”, समाचार चैनल लगातार चेतावनी दे रहे हैं, कि अभी 1-2 दिन और बारिस हो सकती है। हरिद्वार भी जाना जरूरी था, क्योंकि कविता को अपने मम्मी और पापा दोनों की अस्थि विसर्जन करना था l

[Read More]

दोस्ती

Posted: 22-02-2018 | Writer - Ranjan Kumar Pandit

रात के यही कोई ११ बज रहे होंगे !! रोज की तरह अदिति डिनर के बाद अपनी fb account चेक कर रही थी !! तभी अचानक उसका मोबाइल vibrate होने लगता है..... इतनी रात को कॉल !! खैर नंबर तो जाना पहचाना लग रहा 8962XXXX !! अनमने मन से ओ कॉल रिसीव करती है हैल्लो कौन !!!

[Read More]

दानी

Posted: 14-04-2018 | Writer - Harishankar Parsai

बाढ़-पीड़ितों के लिए चंदा हो रहा था। कुछ जनसेवकों ने एक संगीत-समारोह का आयोजन किया, जिसमें धन एकत्र करने की योजना बनाई। वे पहुँचे एक बड़े सेठ साहब के पास। उनसे कहा, 'देश पर इस समय संकट आया है। लाखों भाई-बहन बेघर-बार हैं, उनके लिए अन्‍न-वस्‍त्र जुटाने के लिए आपको एक बड़ी रकम दे

[Read More]

अपना-पराया

Posted: 14-04-2018 | Writer - Harishankar Parsai

'आप किस स्‍कूल में शिक्षक हैं?' 'मैं लोकहितकारी विद्यालय में हूं। क्‍यों, कुछ काम है क्‍या?' 'हाँ, मेरे लड़के को स्‍कूल में भरती करना है।' 'तो हमारे स्‍कूल में ही भरती करा दीजिए।'

[Read More]

चंदे का डर

Posted: 14-04-2018 | Writer - Harishankar Parsai

एक छोटी-सी समिति की बैठक बुलाने की योजना चल रही थी। एक सज्‍जन थे जो समिति के सदस्‍य थे, पर काम कुछ नहीं, गड़बड़ पैदा करते थे और कोरी वाहवाही चाहते थे। वे लंबा भाषण देते थे।

[Read More]

ठेस

Posted: 19-03-2018 | Writer - Phanishwar Nath Renu

खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते। लोग उसको बेकार ही नहीं, 'बेगार' समझते हैं। इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता है सिरचन को

[Read More]

तीसरी कसम, उर्फ मारे गए गुलफाम

Posted: 19-03-2018 | Writer - Phanishwar Nath Renu

हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है... पिछले बीस साल से गाड़ी हाँकता है हिरामन। बैलगाड़ी। सीमा के उस पार, मोरंग राज नेपाल से धान और लकड़ी ढो चुका है

[Read More]

रसप्रिया

Posted: 19-03-2018 | Writer - Phanishwar Nath Renu

धूल में पड़े कीमती पत्थर को देख कर जौहरी की आँखों में एक नई झलक झिलमिला गई - अपरूप-रूप! चरवाहा मोहना छौंड़ा को देखते ही पँचकौड़ी मिरदंगिया की मुँह से निकल पड़ा - अपरुप-रुप!

[Read More]

नैना जोगिन

Posted: 19-03-2018 | Writer - Phanishwar Nath Renu

रतनी ने मुझे देखा तो घुटने से ऊपर खोंसी हुई साड़ी को 'कोंचा' की जल्दी से नीचे गिरा लिया। सदा साइरेन की तरह गूँजनेवाली उसकी आवाज कंठनली में ही अटक गई। साड़ी की कोंचा नीचे गिराने की हड़बड़ी में उसका 'आँचर' भी उड़ गया।

[Read More]

एक आदिम रात्रि की महक

Posted: 19-03-2018 | Writer - Phanishwar Nath Renu

न ...करमा को नींद नहीं आएगी। नए पक्के मकान में उसे कभी नींद नहीं आती। चूना और वार्निश की गंध के मारे उसकी कनपटी के पास हमेशा चौअन्नी-भर दर्द चिनचिनाता रहता है। पुरानी लाइन के पुराने 'इस्टिसन' सब हजार पुराने हों, वहाँ नींद तो आती है।...ले, नाक के अंदर फिर सुड़सुड़ी जगी ससुरी...! करमा छींकने लगा। नए मकान में उसकी छींक गूँज उठी।

[Read More]

चरित्रहीन

Posted: 19-03-2018 | Writer - Sharatchandra

पश्चिम हिन्दुस्तान के एक बड़े नगर में जाड़े की ऋतु लगभग आ पहुंची थी। रामकृष्ण परमहंस के एक नये शिष्य को किसी एक शुभ कार्य की भाषण-सभा में उपेन्द्र को सभापति बनाया जाये...

[Read More]

Search

लेखक

रंजन कुमार पंडित 3

रूपेंद्र शर्मा 1

सूर्य कुमार शुक्ला 2

अमरकांत 7

हरिशंकर परसाई 3

प्रेमचंद 4

फणीश्वर नाथ रेणु 6

शरतचन्द्र चट्टोपाध्य 3

Unknown 3

सर्वाधिक लोकप्रिय कहानियाँ