टा उठ जाओ,सुबह के 9 बज रहे हैं,कब तक सोओगी-----मास्टर केशव प्रसाद ने पल्लवी को आवाज लगाते हुए कहा,
(माँ के बचपन में ही गुजर जाने के बाद मास्टर साहब ही पल्लवी के माँ-बाप थे वो उसे अपनी बेटी नहीं बेटा मानते थे ,यदा-कदा वो कहा करते थे की मेरे मरने के बाद मुझे मुखाग्नि मेरी पल्लवी ही देगी, पल्लवी को पालने के लिए उन्होंने स्कूल से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी )
--आज इतवार है आज कॉलेज भी नहीं जाना सोने दीजिये ना पापा , आज ही तो सोने को मिलता है हमे
-बेटा सुबह होने के बाद नहीं सोते इससे बुद्धि घटती है और तुमको तो आईएएस बनना है अगर बुद्धि घट गयी तो कैसे बनोगी ?
--अब मैं बच्ची नहीं रही पापा जो आप हमें ऐसे बेवकूफ बना रहे हैं , पल्लवी आँख मिलमिलाते हुए बोली
--मेरा अच्छा बच्चा , मास्टर साहब ने पल्लवी को गले लगा लिया और उसके लिए चाय बनाने चले गये
भाग 1
(पल्लवी शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में १२वीं की छात्रा थी ,पढने में होशियार और सुन्दरता तो उसे विरासत में अपनी माँ से मिली थी , बड़ी बड़ी आँखें और चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान वाली मासूमियत किसी को भी दीवाना बना सकती थी ,क्लास के सभी लड़के उसके कायल थे कोई उसकी पढाई का तो कोई सुन्दरता का )
--आज कॉलेज में मुझे २०/२० मिला , सारी क्लास ने मेरे लिए तालियाँ बजाई , पल्लवी अपनी कॉपी मास्टर साहब को दिखाते हुए बोली
--आज कॉलेज में मुझे २०/२० मिला , सारी क्लास ने मेरे लिए तालियाँ बजाई , पल्लवी अपनी कॉपी मास्टर साहब को दिखाते हुए बोली
जब १२वीं का रिजल्ट आया तो मास्टर साहब ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बाँटी आखिर उनकी बेटी ने जिले में पहला स्थान पाया था,सारे मोहल्ले से पल्लवी के लिए बधाई संदेश आये , जिले के डीएम और क्षेत्रीय विधायक जी उसके घर आये बधाई देने के लिए,शाम को मास्टर साहब की ओर से दावत चली.................
१२वीं के अंको की वजह से पल्लवी का दाखिला एक प्रतिष्ठित कॉलेज में हो गया ,शहर के लगभग सभी प्रतिष्ठित घरानों के बच्चे उसी कॉलेज में पढ़ते थे
आज पल्लबी के कॉलेज का पहला दिन था वह नए दोस्तों को पाकर खुश तो थी लेकिन पुराने दोस्तों से बिछड़ने का ग़म उसे साल रहा था
--भाई देख माल आ रहा है , रोनित ने रॉकी को आँख मारते हुए बोला
--साले चुप कर वो टॉपर है जिले की अगर उसने शिकायत की प्रिंसपल से तो शामत आ जाएगी , रॉकी रोनित के मुंह पर हाथ रखते हुए बोला
पल्लवी उन दोनों की ओर बिना देखे वहां से गुजर गयी
मेरा नाम सुहानी है और आपका ? सुहानी ने पल्लवी की ओर हाथ बढाया
--मैं पल्लवी
--ओह तो आप ही वो टॉपर हो ,जिसकी चर्चा अभी क्लास में हो रही थी.
--जी , पल्लवी केशव प्रसाद मेरा पूरा नाम है .उसने बात मोड़ने की कोशिश की
--मैं सुहानी शर्मा ,यहाँ के प्रिंसपल जी की बेटी
--ओह ,आपसे मिलकर अच्छा लगा
उन दोनों में थोड़े दिनों में अच्छी दोस्ती हो गयी,पल्लवी का घर रास्ते में ही पड़ता था सुहानी सुबह उसे साथ लेकर आती और शाम को उसे ड्राप कर देती ,मास्टर साहब भी बेफिक्र रहने लगे थे.
--जब हम लोग आते हैं तो ये क्या बात कर रहे होते हैं....................पल्लवी ने सुहानी से पूछा
---लफंगे हैं ये लोग छिछोरापंथी बतिया रहे होंगे और क्या.....वैसे कुछ कहें तो सीधा पापा से बोलकर कॉलेज ही छुडवा दूँ , कहकर वो उन्हें घूरती हुई चली गयी
सुन्दरता जान की दुश्मन होती है , ये कहावत शायद पल्लवी के साथ चरितार्थ होने वाली थी , शहर के विधायक के लड़के अनुपम का दिल पल्लवी पर आ गया
--यार पल्लवी पसंद है मुझे ,कुछ कर ना सेटिंग हो जाये उससे , बस एक रात गुजार ले कौन सा मैं ज़िन्दगी भर के लिए उसे अपनी बना रहा हूँ , अनुपम कुटिल मुस्कान के साथ रोनित से बोला
--भाई मेरी हिम्मत तो नहीं होती आप ही बात करो , वो प्रिंसपल की लौंडिया उसके साथ रहती है ,मेरी फटती है उससे अगर उसने शिकायत की तो मेरी लग जाएगी ....................रोनित ने अपने मन की बात बताई
--चूड़ियां पहन लो सालों मैं उससे बात करूँगा कल देखना
दूसरे दिन –लंच ब्रेक में
--सुनिए
--जी बताइए
--आपका नाम क्या है ? अनुपम ने मेलजोल बढ़ाने की कोशिश की
--पल्लवी केशव चन्द्र , कहकर वो आगे बढ गयी
अनुपम को इस तरह एक लड़की का अनसुना करना भाया नहीं
अगले दिन –लंच ब्रेक में
--ओये लड़की
--तमीज है तुम्हें की लड़कियों से कैसे बात करते हैं ?
--कल कोशिश की थी ,तुमको इज्ज़त अच्छी नहीं लगी
पल्लवी ने उसकी बातों का उत्तर नहीं दिया और वो आगे बढ़ गयी ,अनुपम ने पीछे से उसका दुप्पटा पकड़कर खींच लिया
अब ये बर्दाश्त से बाहर था उसने खींच कर एक तमाचा अनुपम की कान पर जड़ा और दुप्पटा लेकर उसे गाली देते हुए बाहर आ गयी
बॉयज होस्टल के एक कमरे का माहौल बहुत गर्म था आज आखिर हो भी ना क्यों एक विधायक के लड़के को आज सरेआम थप्पड़ पड़ा था
--बताऊंगा उसे मैं क्या चीज़ हूँ , उसकी औकात क्या हुई मुझे थाप्पद मारने की
--भाई क्या किया जाया , एक लड़का बोला
--उठवा लेते हैं भाई , दुसरे ने कहा और उसके बोलते ही अनुपम ने उसे एक खींच के कन्टाप मारा और बोला
--साले ये तू क्या बोल रहा है
--सॉरी भाई
--सॉरी की माँ की ...................इतना सही आईडिया पहले क्यों नहीं दिया
अगले दिन
पल्लवी के लापता होने की खबर पूरे शहर में आग जैसी फ़ैल गयी आखिर हो भी क्यों ना वो एक प्रतिष्ठित कॉलेज की छात्रा और जिले की टॉपर थी मास्टर साहब बार बार पल्लवी का नाम लेकर बेहोश हो जा रहे थे,
पुलिस अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन २ दिनों तक पल्लवी का कोई पता ना चला , अनुपम से पूछताछ करने पर वो साफ़ मुकर गया और विधायक जी इसे विरोधी पार्टियों की साजिश बताने लगे
आख़िरकार पल्लवी अस्त व्यस्त हालत में पड़ोस के एक जंगल में बेहोश मिली ऐसा लग रहा था की आज ही इसे लाकर यहाँ फेका गया है ,और वो भी मरा जानकर
दो दिन बाद जब उसे होश आया तो उसने अपने बयान में अनुपम ,रॉकी ,रोनित सहित पांच लोगों पर अगवा करके सामूहिक बलात्कार का केस दर्ज करवाया
भाग २
आज अदालत में केस की पांचवीं पेशी है , इस केस में भी वही हुआ जो आमतौर पर होता है ,रसूख और पहुँच का उपयोग करके पहले केस वापिस करने कहने नहीं मानने पर मारने की धमकी , नाबालिग साबित करना इत्यादि
जब जज साहब ने केस की सुनवाई खत्म की तो फैसला नहीं आज फिर एक और तारिख दी गयी थी ,इन हालातों और केस की पैरवी से मास्टर साहब टूट गये थे , आर्थिक और मानसिक दोनों मोर्चों पर
ऊपर से समाज के तानों ने उन्हें और तोड़ दिया था जो पडोसी अपने बच्चों को पल्लवी की मिसाल देते थे वही अब पल्लवी को चरित्रहीन और ना जाने क्या क्या कह रहे थे
ऐसे ही चलते चलते केस की सुनवाई ने 8वाँ बसंत देख लिया लेकिन विधायक की पहुँच और भारतीय न्यायिक व्यवस्था ने केस को अंजाम तक नहीं पहुँचने दिया
अब पल्लवी इन सबसे टूट और ऊब चुकी थी लेकिन अनुपम और उनके साथियों को सज़ा दिलाना उसका एक मकसद बना था जो की अटूट था जो ज़मानत पर रिहा होकर ऐश की ज़िन्दगी जी रहे थे
जब अदालत से कोई नतीज़ा नहीं निकलता दिखा तो उसने एक खतरनाक निर्णय लिया जो शायद भारतीय समाज और न्याय को झकझोर देने वाला था
पल्लवी के आत्महत्या करने की खबर ने शहर भर के मीडिया का जमावड़ा मास्टर साहब के घर की ओर मोड़ दिया था , उसके बारे में तमाम बातें बोली जा रहीं थी कोई कायर बता रहा था तो कोई बहादुर जो नफरत करते थे उससे वो भी आये थे वहां और जो प्यार करते थे वो भी
जब पुलिस उसकी लाश को फंदे से उतार रही थी तब उन्हें उसके हाथ में फंसा एक सुसाइड नोट मिला जिसके पहले लाइन में इसे सबके सामने पढने का निवेदन किया था पल्लवी ने
पापा ,
सबसे पहले आप मुझे माफ़ कर देना की मैं आपके उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई , आप मुझे आईएएस बनाना चाहते थे लेकिन मैं एक रेप पीडिता बनकर रह गयी और शायद इसका कसूर भी मेरा ही था जो मैं खुबसूरत बनकर दुनिया में आई थी
मैं भी आईएएस ही बनना चाहती थी लेकिन समाज और कानून ने मुझे अपनी ही हत्यारिन बना दिया
मैं जीना चाहती थी इतना होने के बावजूद लेकिन अनुपम और उसके दोस्तों ने मेरा शारीरिक बलात्कार एकबार किया था लेकिन अदालत के कठघरे में मेरा मानसिक रेप बार बार हुआ ,वकील ने किया जज ने किया और तो और उन्होंने भी मेरा मानसिक बलात्कार किया जिनकी मैं रोल मॉडल थी
मैं और कुछ नहीं बस इतना पूछना चाहती हूँ इन समाज के रखवालों और प्रबुद्ध वर्ग से की मेरा बलात्कारी कौन है , उसने जिसने शारीरिक बलात्कार किया या मानसिक बलात्कार ?
आपकी पल्लवी
जब नोट खत्म हुआ तो सभी की आँखों का दरिया बह रहा था और सबके ज़ेहन में बस यही सवाल गूँज रहा था रेपिस्ट कौन ?
अदालत और सरकार ने मिलकर फ़ास्टट्रैक कोर्ट बनाकर अनुपम और अन्य को सज़ा सुना दी लेकिन मास्टर साहब की आँखें उस इन्साफ को ढूंढ रही थी जिसमें उनके बेटी के शारीरिक बलात्कारियों के साथ साथ मानसिक बलात्कारियों की सज़ा का भी ऐलान किया गया हो
सूर्य नारायण शुक्ल