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कड़वी सच्चाई

सच्चा छिपा झूठ के पीछे ,
चमक रहा है रंग काला !
सच गलत है ,झूठ सत्य है
शासन है जपता माला !!

सही समय पे सत्य बोल दे !
ऐसा मन किसका है !
स्विस बैंक के खातों में वो ,
कालाधन किसका है !!

सांसद बोले ,सत्ता बोले ,
कैसे शासन छला गया !
देशभक्त नेता का पैसा ,
कैसे बाहर चला गया  !!

सत्ता बनी फिरे कठपुतली ,
देख इशारो पे नाचेगी !
जो बोलेगी कुर्सी रानी ,
संसद वैसी ही बाचेगी !!

रानी बनी है जादूगर तो,
राजा बना जमूरा है !
सारी बाते मान  रहा है ,
फिर भी काम अधूरा है  !!

सबको नया  विकाश मिला तो ,
तंत्र मंत्र सब बदल गया !
नेताओं का चयन तरीका ,
लोकतंत्र अब बदल गया !!

जब चुनाव की हवा चली तो ,
मतदाता बन गए जुझारू !
वोट उसी के नाम पड़ेगा ,
जो बांटेगा मुर्गा -दारू !!

आश्वासन का पुल बांधे ,
नाव रेत  में खेता है !
खादी पहने देश बेचता ,
वही हमारा नेता है !!

घर में बच्चे भूखे रोते ,
कुत्तो को है दूध-मलाई !
यही देश का लोकतंत्र है ,
कैसे होगी भला भलाई !!

सही गलत को समझ न पाता ,
राजतंत्र का उल्टा खेल !
कैदी को गद्दी मिल जाती ,
फरियादी को मिलती जेल !!

गाड़ी वाले आरक्षित हैं ,
पैदल वाले टैक्स भरें !
आरक्षण का नया  सूत्र।,
जो मन आये वहीं करें !!

सौम्या पांडेय

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