बादल बरसे या न बरसे, नैना बरस ही जाता है,
पता नहीं ये सावन क्यों, पतझड़ की याद दिलाता है !!
सूनी गलिया, सूनी सड़के, सूना लगे पूरा संसार,
किससे बोलू, काहा मैं जाऊं, उसके बिन है सब कुछ बेकार
उथल-पुथल मची है दिल में,कोई तो उसको समझाए,
जैसे चली गई ओ छोड़के, काश अपनी यादे भी ले जाए..
काश अपनी यादे ले जाये....