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शहादत

एक दिन शाम में ,मै कही जा रहा था
मन ही मन ,ठंडी मस्त हवाओं के संग
कुछ गुनगुना रहा था
देखा सामने से आ रहे थे कुछ लोग ,
भूखे..अधनंगे और काफी हताश
देखते ही देखते ओ आ गए बिलकुल पास
मैंने पहचाना...अरे ये तो भगत सिंह ,आजाद हैं
संग नेताजी सुभाष हैं
मैं बोला..अरे जनाब ,आप लोगो ने क्या बना रखा है हाल
अब तो भारत हो रहा है मालामाल !!
भारतीय अर्थ-व्यवस्था छू रही है आकाश
फिर क्यू हैं आप लोग इतने पपरेशान  और उदास ??   

ध्यान से देखा ,उनके होंठ डोल रहे थे
कोशिश करके ओ धीरे धीरे बोल रहे थे !
किस भारत की बात करते हो
 जहाँ रहते हैं.... टाटा ,मित्तल और अम्बानी !!
या फिर शाहरुख ,सलमान ,ऐश्वर्या और रानी
अरे असली भारत तो गन्दी बस्ती में रहने के लिए मजबूर है
तन ढकने के लिए कपड़े ,और २ वक्त की रोटी आज भी उसकी पहुंच से दूर है
पुलिस -प्रशासन और न्याय ,खुले बाजार में बिक रहा है
चारो ओर हिंसा और आतंकवाद ही दिख रहा है
क्या यही तुम्हारे लिए आजादी और तरक्की का अर्थ है !!
यदि हाँ....तो हम जैसे लाखों शहीदों का बलिदान व्यर्थ है
अब तो सोचते हैं हमारी शहादत बेकार गयी
एक बार फिर भारत माता भारतियों से ही हार गयी !! 

चन्दन कुमार पंडित

 

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