Name - | SURYA NARAYAN SHUKLA |
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कहानियाँ 2
शायरी 2
बेटा उठ जाओ,सुबह के 9 बज रहे हैं,कब तक सोओगी-----मास्टर केशव प्रसाद ने पल्लवी को आवाज लगाते हुए कहा, (माँ के बचपन में ही गुजर जाने के बाद मास्टर साहब ही पल्लवी के माँ-बाप थे वो उसे अपनी बेटी नहीं बेटा मानते थे ,यदा-कदा वो कहा करते थे की मेरे मरने के बाद मुझे मुखाग्नि मेरी पल्लवी ही देगी, पल्लवी को पालने के लिए उन्होंने स्कूल से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी )
उठ जा राजू बेटा आज क्या घास काटने नहीं जाना है?.......माँ की आवाज जब राजू के कानों में पड़ी तो वो तुरंत बिस्तर से उठ गया.....और अपने औजारों को लेकर जंगल की तरफ घास काटने चल दिया...!! बहुत समय पहले की बात है....पहाड़ों की तलछटी में बसे एक गाँव में राजू अपने माँ के साथ रहता था....उसके पिता की मौत हो चुकी थी...तो घर चलाने की जिम्मेदारी उसी के कन्धों पर आ गयी थी....
ज़िन्दगी आसां लगेगी मुस्कुरा कर देख लो
चाहतों का शौक़ है तो दिल लगाकर देख लो
यूँ चरागों से शिक़ायत करने का क्या फ़ायदा
दूर होगा हर अँधेरा लौ जलाकर देख लो
उम्मीदों का बोझ लिए , मुर्दों को चलते देखा है
इश्क़ की आँच से मैंने , पत्थर को पिघलते देखा है
ज़िन्दगी आसां लगेगी मुस्कुरा कर देख लो
चाहतों का शौक़ है तो दिल लगाकर देख लो
यूँ चरागों से शिक़ायत करने का क्या फ़ायदा
दूर होगा हर अँधेरा लौ जलाकर देख लो
उम्मीदों का बोझ लिए , मुर्दों को चलते देखा है
इश्क़ की आँच से मैंने , पत्थर को पिघलते देखा है