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Posted: 14-04-2018 | Writer - Unknown

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Posted: 14-04-2018 | Writer - Unknown

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Posted: 14-04-2018 | Writer - Unknown

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Posted: 14-04-2018 | Writer - Unknown

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Posted: 17-03-2018 | Writer - Kavita Tiwari


मैं भारत वर्ष का हरदम अमिट सम्मान करती  हूँ  
यहां की चंदनी मिट्टी का ही  गुणगान करती हूँ 
मुझे इक्षा  नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की 
तिरंगा हो कफ़न मेरा यही अरमान रखती हूँ 

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार

दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर

मेरी शह-रग पे मिरी माँ की दुआ रक्खी थी

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए

जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई

मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा

अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं

लड़कियाँ धान के पौदों की तरह होती हैं

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है

मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

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Posted: 16-03-2018 | Writer - Munawwar Rana

अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान करो

तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो

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Posted: 15-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

एकता बाँटने में माहिर है ,
खुद कि जड़ काटने में माहिर है 
हम क्या थूके उस सख्स पे जो खुद ,
थूक कर चाटने में माहिर है cheekycheeky

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Posted: 09-03-2018 | Writer - Anamika Jain Amber

चंदा की चकोरी से कोई बात ना होती,
जो तुमसे हमारी ये मुलाकात न होती |
इस शहर के लोलोगों में कोई बात है ‘अम्बर’,
वरना तो कभी इतनी हसीं रात ना होती ||

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Posted: 09-03-2018 | Writer - Anamika Jain Amber

मैं तुझे जान लूं तू मुझे जान ले,
मैं भी पहचान लूं तू भी पहचान ले |
है बहुत ही सरल प्रेम का व्याकरण,
मैं तेरी मान लूं तू मेरी मान ले ||

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Posted: 09-03-2018 | Writer - Anamika Jain Amber

शाम भी ख़ास है वक़्त भी ख़ास है,
मुझको अहसास है तुझको अहसास है |
इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए,
मैं तेरे पास हूँ तू मेरे पास है ||

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Posted: 09-03-2018 | Writer - Anamika Jain Amber

चाँद बिन चांदनी रात होती नहीं,
ना हो बादल तो बरसात होती नहीं |
शब्द मजबूर हैं व्यक्त क्या क्या करें,
प्रेम जब हो मुखर बात होती नहीं ||

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Posted: 09-03-2018 | Writer - Anamika Jain Amber

आने वाली हर नयी प्रभा ,दे खुशियों की सौगात
हर दिन आपका होली हो ,हो दिवाली हर रात !!
सफलता आपकी कदम चूमे ,न मिले जीवन में कभी निराशा
सफलता की आप दोस्त ,गढ़ दो एक नई परिभाषा !!

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Posted: 09-03-2018 | Writer - Anamika Jain Amber

मेरा मन तू बने, तेरा मन मैं बनूँ।
ऐसे पूजू तुझे ख़ुद नमन मैं बनूँ॥
एक ही प्रार्थना है प्रभु से मेरी।
हर जनम में तेरी ही दुल्हन मैं बनूँ॥
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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,

खुद को पर बेक़रार मत करना ,

आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?

हम न कहते थे प्यार मत करना…!!

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है,

और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है,

मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल,

भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है..!!

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

तुम अमर राग-माला बनो तो सही,

एक पावन शिवाला बनो तो सही,

लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,

प्रीत की पाठशाला बनो तो सही..!!

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,

तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,

तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,

ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले..!!

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
 दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

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Posted: 08-03-2018 | Writer - Kumar Vishwas

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।

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