रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा
Posted: 04-06-2018
| Writer - vishnu saxena
रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं।
तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं।
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रश्मिरथी -सप्तम सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
निशा बीती, गगन का रूप दमका,
किनारे पर किसी का चीर चमका।
क्षितिज के पास लाली छा रही है,
अतल से कौन ऊपर आ रही है ?
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रश्मिरथी -षष्ठ सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
नरता कहते हैं जिसे, सत्तव
क्या वह केवल लड़ने में है ?
पौरूष क्या केवल उठा खड्ग
मारने और मरने में है ?
तब उस गुण को क्या कहें
मनुज जिससे न मृत्यु से डरता है ?
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रश्मिरथी -पंचम सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
आ गया काल विकराल शान्ति के क्षय का,
निर्दिष्ट लग्न धरती पर खंड-प्रलय का ।
हो चुकी पूर्ण योजना नियती की सारी,
कल ही होगा आरम्भ समर अति भारी ।
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रश्मिरथी -चतुर्थ सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
प्रेमयज्ञ अति कठिन कुण्ड में कौन वीर बलि देगा ?
तन, मन, धन, सर्वस्व होम कर अतुलनीय यश लेगा ?
हरि के सन्मुख भी न हार जिसकी निष्ठा ने मानी,
धन्य-धन्य राधेय ! बन्धुता के अद्भुत अभिमानी ।
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रश्मिरथी-तृतीय सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
हो गया पूर्ण अज्ञात वास,
पाडंव लौटे वन से सहास,
पावक में कनक-सदृश तप कर,
वीरत्व लिए कुछ और प्रखर,
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रश्मिरथी-द्वितीय सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
शीतल, विरल एक कानन शोभित अधित्यका के ऊपर,
कहीं उत्स-प्रस्त्रवण चमकते, झरते कहीं शुभ निर्झर।
जहाँ भूमि समतल, सुन्दर है, नहीं दीखते है पाहन,
हरियाली के बीच खड़ा है, विस्तृत एक उटज पावन।
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रश्मिरथी-प्रथम सर्ग
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।
किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,
सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल
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शहीद-स्तवन (कलम, आज उनकी जय बोल)
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
कलम, आज उनकी जय बोल
जला अस्थियाँ बारी-बारी
छिटकाई जिनने चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल ।
कलम, आज उनकी जय बोल ।
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किसको नमन करूँ मैं भारत?
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?
मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?
किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ?
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बर्र और बालक
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
सो रहा था बर्र एक कहीं एक फूल पर,
चुपचाप आके एक बालक ने छू दिया
बर्र का स्वभाव,हाथ लगते है उसने तो,
ऊँगली में डंक मार कर बहा लहू दिया
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पढ़क्कू की सूझ
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,
जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नए बात गढ़ते थे।
एक रोज़ वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ न पाए,
"बैल घुमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए?"
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चूहे की दिल्ली-यात्रा
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
चूहे ने यह कहा कि चूहिया! छाता और घड़ी दो,
लाया था जो बड़े सेठ के घर से, वह पगड़ी दो।
मटर-मूँग जो कुछ घर में है, वही सभी मिल खाना,
खबरदार, तुम लोग कभी बिल से बाहर मत आना!
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चांद का कुर्ता
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला,
‘‘सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला...
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मिर्च का मज़ा
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
एक काबुली वाले की कहते हैं लोग कहानी,
लाल मिर्च को देख गया भर उसके मुँह में पानी।
सोचा, क्या अच्छे दाने हैं, खाने से बल होगा,
यह जरूर इस मौसम का कोई मीठा फल होगा।
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सूरज का ब्याह
Posted: 22-03-2018
| Writer - Ramdhari Singh Dinkar
उड़ी एक अफवाह, सूर्य की शादी होने वाली है,
वर के विमल मौर में मोती उषा पिराने वाली है।
मोर करेंगे नाच, गीत कोयल सुहाग के गाएगी,
लता विटप मंडप-वितान से वंदन वार सजाएगी!
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भारत बंद
Posted: 15-03-2018
| Writer - Kavita Tiwari
देशभक्ति का ज्वार है उमड़ा, मंद नहीं होगा, तुम चीख- चीख कर मर जाओ, भारत बंद नहीं होगा
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शहीद के बेटे की दीपावली
Posted: 09-03-2018
| Writer - Anamika Jain Amber
चारो तरफ़ उजाला पर अँधेरी रात थी।
वो जब हुआ शहीद उन दिनों की बात थी॥
आँगन में बैठा बेटा माँ से पूछे बार-बार।
दीपावली पे क्यो ना आए पापा अबकी बार॥
माँ क्यो न तूने आज भी बिंदिया लगाई है ?
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महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है,
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना,
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
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कुछ छोटे सपनो के बदले
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
कुछ छोटे सपनो के बदले,
बड़ी नींद का सौदा करने,
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
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खुद को आसान कर रही हो ना
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
खुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना,
ज़िन्दगी हसरतों की मय्यत है,
फिर भी अरमान कर रही हो ना
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हम कबीर के वंशज चुप कैसे रहते
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
वे बोले दरबार सजाओ
वे बोले जयकार लगाओ,
वे बोले हम जितना बोले,
तुम केवल उतना दोहराव
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हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें,
कितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हें,
जिस पल हल्दी लेपी होगी तन पर माँ ने,
जिस पल सखियों ने सौंपी होंगीं सौगातें,
ढोलक की थापों में, घुँघरू की रुनझुन में,
घुल कर फैली होंगीं घर में प्यारी बातें
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होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो,
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
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पगली लड़की
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
मावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं,सब सोते हैं, हम रोते हैं,
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कोई दीवाना कहता है
Posted: 08-03-2018
| Writer - Kumar Vishwas
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!
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